नेटफ्लिक्स पर रिलीज हुई तमिल फिल्म बिसन ने भारत में एक ऐसा तूफान खड़ा कर दिया है, जिसकी तुलना किसी सामाजिक आंदोलन से की जा सकती है। 21 नवंबर, 2025 को रिलीज होने के बाद यह फिल्म छह दिन तक नेटफ्लिक्स इंडिया की ट्रेंडिंग लिस्ट में नंबर एक पर बनी रही — और अपने पहले 24 घंटों में ही 12,743,821 घंटे के व्यूज हासिल कर लिए। यह सिर्फ एक स्पोर्ट्स ड्रामा नहीं, बल्कि एक सामाजिक घोषणा है।
कबड्डी का राजा, जाति का शिकार
ध्रुव विक्रम ने मनाथि गणेशन के जीवन पर आधारित इस फिल्म में कित्तन नाम के एक दलित कबड्डी खिलाड़ी की भूमिका निभाई है — एक ऐसा युवक जिसकी बाहों में शक्ति थी, लेकिन उसके जीवन में आजादी नहीं। 1990 के दशक के तमिलनाडु के ग्रामीण इलाकों में बसे एक छोटे से गांव से शुरू होने वाली यह कहानी धीरे-धीरे एक सामाजिक विद्रोह में बदल जाती है। जाति के नाम पर उस पर हुए अत्याचार, राजनीतिक दबाव, और खेल के मैदान में भेदभाव — सब कुछ बिना किसी गुमराह किए दिखाया गया है।
एक फिल्म, एक बजट, एक विजय
नेटफ्लिक्स ने फिल्म के निर्माण से पहले ही इसके ग्लोबल स्ट्रीमिंग अधिकार ₹62.3 करोड़ में खरीद लिए थे — एक ऐसा निर्णय जिसने सभी को हैरान कर दिया। फिल्म का कुल बजट ₹38.5 करोड़ था, जिसमें से ₹4.2 करोड़ केवल ध्रुव विक्रम के लिए थे। इस रकम के बारे में कोई शक नहीं कि यह उनकी सबसे बड़ी आय है, लेकिन वो इसे सिर्फ एक वेतन नहीं, बल्कि एक सम्मान के रूप में ले रहे हैं। निर्देशक एम. सरवणन ने, जिन्होंने पिछले दो फिल्मों परियरुम पेरुमल और मूथोन में जाति के विषय को गहराई से छुआ था, यहां एक और बड़ी छाप छोड़ दी है।
फिल्म की शूटिंग थांजावूर, तिरुवारूर और नागपट्टीनम के असली गांवों में हुई, जहां आज भी कबड्डी के खेल के लिए गांव के खुले मैदान ही एकमात्र स्थान हैं। सिनेमैटोग्राफर एस.आर. कथीर ने धूल और पसीने को कैमरे में ऐसे बांध दिया कि दर्शक महसूस करते हैं कि वो खुद मैदान में खड़े हैं।
संगीत और सोशल मीडिया: एक चैलेंज बन गई फिल्म
फिल्म का संगीत संतोष नारायणन ने बनाया है, और उनकी गाने कबड्डी थालाइवन ने स्पॉटिफाई इंडिया की टॉप 50 चार्ट में तीन दिन तक तीसरा स्थान हासिल किया। लेकिन असली आग किसी गाने से नहीं, बल्कि एक चैलेंज से लगी — #BisonChallenge। इंस्टाग्राम और एक्स (पुराना ट्विटर) पर लगभग 4.57 लाख वीडियो अपलोड किए गए हैं, जिनमें लोग फिल्म के क्लाइमैक्स में दिखाए गए कित्तन राइड मूव को दोहरा रहे हैं। ये बस एक नकल नहीं, बल्कि एक अपमान के खिलाफ एक अभियान है।
आलोचकों की प्रशंसा, दलित समुदाय का समर्थन
अनुपमा चोपड़ा ने फिल्म कॉम्पैनियन में लिखा: "बिसन सिर्फ खेल की फिल्म नहीं, यह एक ऐसा दस्तावेज है जो ग्रामीण भारत में जाति के अत्याचार को बिना ढके दिखाता है।" यह बयान अकेला नहीं है। दलित फिल्म मेकर्स कॉलेक्टिव ने फिल्म को "मुख्यधारा के सामने उपेक्षित समुदाय की सच्चाई को बिना सौंदर्य की छलांग लगाए दर्शाने" के लिए सराहा है।
यहां तक कि नेटफ्लिक्स के कंटेंट हेड श्मिता शर्मा ने इस सफलता को देखकर दो नई फिल्मों — गोल (कोलकाता में फुटबॉल आधारित) और रैकेट (पीवी सिंधु की सलाह से बनने वाली बैडमिंटन ड्रामा) — के विकास को त्वरित कर दिया है। ये फिल्में 2026 में रिलीज होंगी, और यह एक स्पष्ट संकेत है कि नेटफ्लिक्स अब सिर्फ बॉलीवुड नहीं, बल्कि भारत के ग्रामीण इतिहास को भी अपना रहा है।
क्यों यह फिल्म इतनी खास है?
क्योंकि इसने किसी खिलाड़ी की कहानी नहीं, बल्कि एक समुदाय की आवाज़ को सुनाया। यह फिल्म किसी बड़े स्टार के नाम से नहीं, बल्कि उसके काम के बल पर चली। ध्रुव विक्रम ने अपने शरीर को बदल दिया — वजन बढ़ाया, मांसपेशियां बनाईं, और फिर अपने चेहरे पर उस दर्द को उतार दिया जो किसी दलित युवक के दिल में होता है। यह फिल्म आपको रोमांचित करती है, लेकिन आपके दिल में एक दरार भी छोड़ देती है।
अगला क्या होगा?
नेटफ्लिक्स के अनुसार, बिसन 5 दिसंबर, 2025 तक ग्लोबल टॉप 10 में बनी रहने की संभावना है — जब तक स्टीफन नामक थ्रिलर रिलीज नहीं हो जाता। लेकिन यहां कोई डर नहीं। इस फिल्म ने एक नया मानक तय कर दिया है। अब दर्शक चाहेंगे कि भारतीय फिल्में सिर्फ रोमांटिक या एक्शन न हों, बल्कि उनमें ऐसा दर्द हो जो वास्तविक जीवन से जुड़ा हो।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
बिसन फिल्म किस वास्तविक व्यक्ति पर आधारित है?
यह फिल्म अर्जुन पुरस्कार विजेता कबड्डी खिलाड़ी मनाथि गणेशन के जीवन पर आधारित है, जिन्होंने 1990 के दशक में तमिलनाडु के ग्रामीण क्षेत्रों से शुरुआत करके राष्ट्रीय स्तर पर नाम कमाया। उनकी जाति के कारण उन पर हुए अत्याचार और खेल के मैदान में भेदभाव को फिल्म ने बिना रंग बिरंगे बनाए दर्शाया है।
ध्रुव विक्रम को इस फिल्म के लिए कितना भुगतान मिला?
ध्रुव विक्रम को बिसन के लिए ₹4.2 करोड़ का भुगतान किया गया, जो उनके करियर का सबसे बड़ा एकल भुगतान है। यह रकम फिल्म के कुल बजट ₹38.5 करोड़ में से एक हिस्सा है, और इसे उनके शारीरिक और भावनात्मक परिवर्तन के लिए सम्मान के रूप में देखा जा रहा है।
#BisonChallenge क्या है और यह कैसे शुरू हुआ?
#BisonChallenge एक सोशल मीडिया ट्रेंड है जिसमें लोग फिल्म के क्लाइमैक्स में दिखाए गए "कित्तन राइड" नामक कबड्डी मूव को दोहरा रहे हैं। इस पर इंस्टाग्राम और एक्स पर लगभग 4.57 लाख वीडियो अपलोड किए गए हैं। यह सिर्फ नकल नहीं, बल्कि एक सामाजिक अभियान है जो दलित युवाओं की शक्ति को समर्थन देता है।
क्या बिसन का कोई थिएटरल रिलीज था?
नहीं, बिसन का कोई थिएटरल रिलीज नहीं था। नेटफ्लिक्स ने फिल्म के निर्माण से पहले ही ग्लोबल स्ट्रीमिंग अधिकार ₹62.3 करोड़ में खरीद लिए थे, जो भारतीय ऑटीटी इतिहास में एक बड़ी रकम है। इससे यह स्पष्ट होता है कि ऑटीटी प्लेटफॉर्म अब बॉलीवुड के बराबर शक्तिशाली हो चुके हैं।
नेटफ्लिक्स अब क्या योजना बना रहा है?
बिसन की सफलता के बाद नेटफ्लिक्स कंटेंट हेड श्मिता शर्मा ने दो नए खेल-आधारित ओरिजिनल्स के विकास को त्वरित कर दिया है: गोल (कोलकाता में फुटबॉल आधारित) और रैकेट (पीवी सिंधु की सलाह से बनने वाली बैडमिंटन ड्रामा), दोनों 2026 में रिलीज होंगे। यह दर्शाता है कि भारतीय ग्रामीण खेलों को अब वैश्विक दर्शकों के लिए भी आकर्षक माना जा रहा है।
इस फिल्म ने भारतीय सिनेमा पर क्या प्रभाव डाला है?
बिसन ने साबित कर दिया है कि जाति और सामाजिक अन्याय जैसे विषय भी बड़े दर्शकों को आकर्षित कर सकते हैं — बिना किसी गुमराह किए। यह फिल्म ने दलित कथाओं को मुख्यधारा में लाने का एक नया मॉडल दिया है, जिससे अब निर्माता अपनी कहानियों में अधिक साहस लेंगे।