Mohammed Siraj ने इंग्लैंड में रचा इतिहास: Anderson–Tendulkar Trophy 2025 में 23 विकेट, कपिल देव को पीछे छोड़ा

Mohammed Siraj ने इंग्लैंड में रचा इतिहास: Anderson–Tendulkar Trophy 2025 में 23 विकेट, कपिल देव को पीछे छोड़ा

ओवल की 9/190 से लेकर 46 इंग्लैंड विकेट तक: सीरीज के असली नायक

इस बार सुर्खियों में स्ट्राइकर कोई बैटर नहीं, गेंद से कहर ढाने वाले Mohammed Siraj रहे। पांच टेस्ट की Anderson–Tendulkar Trophy 2025 2-2 से बराबरी पर खत्म हुई, और इस बराबरी के बीच सबसे स्थिर, सबसे असरदार चेहरा वही थे। ओवल में उनके 9/190—इस मैदान पर किसी भारतीय गेंदबाज का सबसे बेहतर मैच प्रदर्शन—ने तस्वीर बदल दी। इसी टेस्ट में उन्होंने कपिल देव के 43 विकेट को पीछे छोड़ा और अब इंग्लैंड में उनके 46 टेस्ट विकेट हैं, जो उन्हें वहां सर्वाधिक विकेट लेने वाले भारतीयों की सूची में तीसरे नंबर पर ले आता है। उनसे आगे सिर्फ जसप्रीत बुमराह और ईशांत शर्मा (दोनों 51) हैं।

सीरीज के आंकड़े खुद कहानी कहते हैं। 23 विकेट—इंग्लैंड में किसी टेस्ट सीरीज में भारतीय गेंदबाज द्वारा सर्वाधिक विकेट के रिकॉर्ड की बराबरी—उन्होंने बुमराह के साथ साझा कर ली। पांचों टेस्ट खेले, 185.3 ओवर फेंके, औसत 32.43 रहा और गति में गिरावट नहीं आई। आखिरी गेंद? 143 किमी/घंटा की तेज यॉर्कर, जिसने गस एटकिंसन की ऑफ-स्टंप उखाड़ दी और भारत ने ओवल टेस्ट में जीत तय कर दी।

ओवल की दूसरी पारी में उनके 5/104 भी इतिहास में दर्ज हो गए—इस मैदान पर किसी एक पारी में भारतीय के तीसरे सर्वश्रेष्ठ आंकड़े। बी.एस. चंद्रशेखर का 8/114 पुराने समय में मील का पत्थर था; सिराज ने उसी सूची में अपना नाम बोल्ड अक्षरों में लिखवा दिया।

रिकॉर्ड्स, हुनर और सीरीज का बड़ा संदर्भ

रिकॉर्ड्स, हुनर और सीरीज का बड़ा संदर्भ

  • सीरीज लीडिंग विकेट-टेकर: 23 विकेट—इंग्लैंड में एक टेस्ट सीरीज में किसी भारतीय के सर्वाधिक विकेट के रिकॉर्ड की बराबरी।
  • इंग्लैंड में कुल 46 टेस्ट विकेट: कपिल देव (43) को पीछे छोड़कर तीसरे नंबर पर; बुमराह और ईशांत (दोनों 51) ही आगे।
  • ओवल में 9/190: इस मैदान पर किसी भारतीय गेंदबाज का सर्वश्रेष्ठ मैच प्रदर्शन।
  • ओवल की दूसरी पारी 5/104: ओवल पर किसी भारतीय की एक पारी में तीसरी सर्वश्रेष्ठ गेंदबाजी।
  • 200 अंतरराष्ट्रीय विकेट: पांचवें टेस्ट में ओली पोप को आउट करते ही यह आंकड़ा छुआ; 101वें अंतरराष्ट्रीय मैच में यह उपलब्धि।
  • इंग्लैंड में दूसरा फाइव-फॉर: भारतीय सूची में संयुक्त रूप से दूसरे स्थान पर; बुमराह के नाम चार फाइव-फॉर।
  • वर्कलोड और फिटनेस: एकमात्र गेंदबाज जिन्होंने सभी पांच टेस्ट खेले और लगातार तेज गति से स्पेल डाले।

यह सीरीज महज स्कोरलाइन नहीं थी; यह टेस्ट गेंदबाजी की बारीकियां थी—ओवरहेड कंडीशंस, ड्यूक गेंद, लंबा स्पेल, सत्र-दर-सत्र धैर्य। सिराज ने यही किया। नए गेंद से उन्होंने लंबाई इतनी सधी रखी कि गेंद ऑफ-स्टंप के ऊपर नहीं भटकी, और पुरानी गेंद पर सीवन हिलाते हुए वॉबल-सीम वेरिएशन से एजबास्टन से ओवल तक बल्लेबाज़ों को सोचने पर मजबूर किया। जहां पिच सपाट हुई, वहां उन्होंने एंगल बदला—राइट-हैंडर्स के खिलाफ राउंड द विकेट, लेट मूवमेंट से पैड-ट्रैप और स्लिप-कार्डन दोनों चालू रखे।

यह स्थिरता अचानक नहीं आई। पिछले इंग्लैंड दौरे पर वे सपोर्ट कास्ट थे; इस बार उन्हें अक्सर आक्रमण की शुरुआत और अंत—दोनों समय स्पेल संभालने पड़े। नए गेंद से मूवमेंट कम मिला तो उन्होंने लेंथ को एक-डेढ़ फुट पीछे खिसकाया, ताकि उछाल से एज निकले। जब बादल छाए, उन्होंने फुलर लेंथ अपनाई और स्टंप्स पर प्रहार किया। ओली पोप का विकेट—जिससे उनके 200 अंतरराष्ट्रीय विकेट पूरे हुए—इसी तरह की योजना का नतीजा था: लगातार बाहर जाती गेंदें, और फिर अंदर आती गेंद से आश्चर्य।

जसप्रीत बुमराह के साथ उनकी जोड़ी ने सीरीज की धड़कन तय की। जब बुमराह रिद्म में थे, सिराज ने दूसरे छोर से दबाव बनाए रखा; जब टीम मैनेजमेंट ने वर्कलोड के चलते बुमराह का स्पेल सीमित रखा, तब सिराज ने लीड की गाड़ी खुद खींची। इस तालमेल का असर यह हुआ कि इंग्लैंड की मिडिल-ऑर्डर अक्सर बीच सत्र में टूटती दिखी—एक छोर पर अटकी हुई बल्लेबाजी दूसरे छोर की तीखी लेंथ का शिकार हुई।

ओवल की पिच दिन में सपाट और शाम होते-होते थोड़ी जीवंत थी। सिराज ने सुबह के समय सीम-अप, दोपहर में क्रॉस-सीम और आखिरी सत्र में यॉर्कर/फुलर लेंथ का इस्तेमाल किया। यही वजह रही कि स्पेल के 16वें-17वें ओवर में भी उनकी गति 140 किमी/घंटा के आसपास रही। कई तेज गेंदबाजों की रफ्तार लंबी सीरीज में कम हो जाती है; सिराज ने अपने रन-अप, डिलीवरी स्ट्राइड और फॉलो-थ्रू को कसा रखा ताकि ऊर्जा की बर्बादी न हो।

इंग्लैंड में भारतीय तेज गेंदबाजी का इतिहास समृद्ध है—कपिल देव की स्विंग, जहीर खान की बाएं हाथ की कला, श्रीनाथ की हिट-द-डेक गति, ईशांत की लय, बुमराह का कोण। सिराज ने इस परंपरा में नया आयाम जोड़ा: लगातार स्पेल्स में एक जैसी गुणवत्ता। 46 विकेट उन्हें इतिहास की उस सूची में गहरे धंसा देते हैं जहां सिर्फ आंकड़े नहीं, मुश्किल परिस्थितियों में मैच पलटने की काबिलियत गिनी जाती है।

किसी भी पांच टेस्ट की खिंची हुई सीरीज में सबसे अहम है योजना का पालन। सिराज की योजना सरल थी—पहले 10 ओवर में लाइन-लेंथ से नियंत्रण, बीच के ओवरों में रफ्तार-एंगल से बदलाव, और पुरानी गेंद पर सीम हिलाकर गलती उकसाना। स्लिप कॉर्डन की सेटिंग भी उनकी गेंदबाजी को सूट करती रही—पहले दो स्लिप, फिर गली जोड़ना, और जब इन-स्विंग ट्रैप काम कर रहा हो तो शॉर्ट मिड-विकेट/लेग-स्लिप का प्रयोग।

सीरीज का एक और बड़ा पहलू रहा—वर्कलोड मैनेजमेंट। भारत ने दूसरे छोर पर स्पिन और दूसरे/तीसरे सीमर को रोटेट किया, पर सिराज हर टेस्ट में पहले दिन से आखिरी शाम तक दिखे। 185.3 ओवर सिर्फ सहनशक्ति नहीं, नियंत्रण का भी संकेत हैं। इतनी गेंदें फेंकते हुए भी वाइड/नो-बॉल की संख्या कम रखना, और आखिरी टेस्ट की आखिरी गेंद पर 143 किमी/घंटा की यॉर्कर निकाल देना—यही फर्क बनाता है।

यह प्रदर्शन आगे के विदेशी दौरों के लिए संदेश है: भारत के पास अब ऐसा पेसर है जो इंग्लैंड जैसी परिस्थितियों में सिर्फ सपोर्ट नहीं, लीड कर सकता है। बुमराह के साथ उनकी साझेदारी आधुनिक भारतीय तेज आक्रमण की पहचान बन रही है—एक तरफ कोण और स्किड, दूसरी तरफ सीम मूवमेंट और लगातार हिट होती लेंथ।

सीरीज 2-2 से बराबरी पर रही, पर जो चीज़ साफ दिखी वो था सिराज का विकास। सपोर्ट कास्ट से स्ट्राइक बॉलर तक की यह यात्रा सरल नहीं थी। उन्होंने तकनीक में सूक्ष्म सुधार किए—रिलीज पॉइंट थोड़ा ऊंचा, सीम की दिशा को आखिरी पल में बदलना, और पिच की उछाल को अपने पक्ष में करना। यही वजह है कि ओवल की 9/190 सिर्फ आंकड़े नहीं, एक परिपक्व टेस्ट गेंदबाज की दस्तक है।

रिकॉर्ड बुक में बुमराह और ईशांत तक पहुंचने में अब सिर्फ पांच विकेट की दूरी है। पर असली बात यह नहीं कि अगला माइलस्टोन कब आएगा; असली बात यह है कि इंग्लैंड की मुश्किल सरजमीं पर सिराज ने भरोसा जीत लिया है—टीम का भी, और विरोधी ड्रेसिंग रूम का भी।

द्वारा लिखित विश्वेश बाजवा

नमस्कार, मेरा नाम विश्वेश बाजवा है। मैं एक समाचार विशेषज्ञ हूं और भारतीय जीवन के बारे में लिखने का शौक रखता हूं। मेरी रुचि प्राथमिक रूप से क्षेत्रीय और लोकल समाचारों में है। मैं विभिन्न मुद्दों के बारे में लेखन करता हूं, जिसमें भारतीय संस्कृति, इतिहास और विचारधारा शामिल होती हैं। मेरा उद्देश्य हमेशा लोगों को सत्य और ताज़ा समाचार प्रदान करना है।